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क्या आप जानते है वीर महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी इन बातों को...?

नमस्कार दोस्तों

हम सब जानते है कि इतिहास मे वीर महाराणा प्रताप का नाम शीर्ष पर है, आज मै उनके जीवन की महत्वपूर्ण तथ्यों को बताता हू।

महाराणा प्रताप का जीवन परिचय और इतिहास

महाराणा प्रताप  का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ में हुआ था, इनके पिता राणा उदय सिंह माता का नाम जयवंताबाई था महाराणा प्रताप के बचपन का नाम कीका था।महाराणा प्रताप ने कुल 11 शादिया की थी महाराणा प्रताप की सबसे बड़ी पत्नी का नाम अज्बदे पुनवर था तथा इनकी 17 पुत्र थे जिनमे अमर सिंह इनके ज्येष्ठ पुत्र थे।
महाराणा प्रताप बचपन से बड़े प्रतापी वीर योद्धा थे तथा वे स्वाभिमानी और किसी के अधीन रहना स्वीकार नही करते थे। वे स्वतंत्राप्रेमी थे जिसके कारण वे अपने जीवन में कभी भी मुगलों के आगे नही झुके उन्होंने कई वर्षो तक कई बार मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किये उनकी इसी दृढ वीरता के कारण बादशाह अकबर भी सपने में महाराणा प्रताप के नाम से कापता था। महाराणा प्रताप इतने बड़े वीर थे की वे कई बार अकबर को युद्ध में पराजित भी किये थे, उनकी यही वीरता के किस्से इतिहास के पन्नो में भरे पड़े है।

अकबर ने शांति प्रस्ताव के लिए 4 बार शांतिदूतो को महाराणा प्रताप के पास भेजा जिसके लिए महाराणा प्रताप ने पूरी तरह से हर बार अधीनता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था इन शांतिदूतो में जलाल खान, मानसिंह, भगवान दास और टोडरमल थे। 

महाराणा प्रताप कहते थे मै पूरी जिन्दगी घास की रोटी और पानी पीकर जिन्दगी गुजार सकता हु लेकिन किसी की पराधीनता मुझे तनिक भी स्वीकार नही है जिसके चलते महाराणा प्रताप पूरी जिन्दगी मुगलों से संघर्ष करते रहे और फिर 29 जनवरी 1597 को दुर्घटना में घायल होने के पश्चात अपने प्राणों को गवा देते है। लेकिन भले ही महाराणा प्रताप इस दुनिया को छोड़कर चले गये लेकिन उनके बहुदुरी के किस्से आज भी जनमानस में अति प्रसिद्द है।

महाराणा प्रताप और अकबर हल्दीघाटी युद्ध

हल्दीघाटी की युद्द 18 जून 1576 को हुआ था यह युद्ध इतिहास के पन्नो में महाराणा प्रताप के वीरता के लिए जाना जाता है महज 20000 सैनिको को लेकर महाराणा प्रताप ने मुगलों के 80000 सैनिको का मुकबला किया जो की अपने आप में अद्वितीय और अनोखा है
महाराणा प्रताप  और चेतक की कहानी


महाराणा प्रताप को बचपन से घुड़सवारी करना बहुत पसंद आता था जिसके फलस्वरूप एक दिन इनके पिता के एक अफगानी सफ़ेद घोडा और दूसरा नील घोडा पसंद करने को बोलते है लेकिन दुसरे भाई की पसंद के आगे महाराणा प्रताप को नीला घोडा मिलता है जिनका नाम महाराणा प्रताप ने चेतक रखा था। महाराणा प्रताप की तरह उनके घोड़े की वीरता के किस्से भी इतिहास में सुनने को मिलते है। 
चेतक की वीरता की कहानी कुछ इस तरह इतिहास में अमर है..

रण बीच चोकड़ी भर-भर कर चेतक बन गया निराला था,
राणाप्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था,
जो तनिक हवा से बाग़ हिली लेकर सवार उड़ जाता था,
राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड जाता था,

अर्थात युद्ध के चाहे कितने भी विकट परिस्थिति में महाराणा प्रताप क्यू न फसे हो लेकिन उनका प्रिय घोडा चेतक महाराणा प्रताप के जान बचाने में हमेसा सफल रहता था उसकी फुर्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था की महाराणा प्रताप के तनिक इशारे पर चेतक हवा की चाल में उड़ने लगता था, और महाराणा प्रताप के पलक झपक भी नही पाती थी चेतक इतना तेज था की वह इशारे से सबकुछ समझ जाता था।

हल्दीघाटी युद्ध के दौरान युद्ध में चेतक बुरी तरह घायल हो जाता है और भागते समय 21 फीट की चौडाई के नाले को पार करने के पश्चात चेतक कुछ दूर चलते ही गिर जाता है। जिससे उसकी मृत्यु हो जाती है चेतक की मृत्यु पर महाराणा प्रताप बहुत ही दुखी रहते थे, और चेतक की मृत्यु का दुःख उन्हें साथ नही छोड़ता है।
एक सच्चे राजपूत के रूप में बेहद पराक्रमी देशभक्त योद्धा के रूप में हमेसा महाराणा प्रताप का नाम आज भी बड़े आदर के साथ लिया जाता है। महाराणा प्रताप के पराक्रम की तुलना किसी से भी नही की जा सकती है। वे आज भी हमारे देश भारत के शौर्य साहस राष्ट्रभक्ति की मिशाल बन गये है, जिसके नाम से ही हर भारतीय अपने आप को गौरवान्वित करता है।


महाराणा प्रताप मेवाड़ के महान हिंदू शासक थे। सोलहवीं शताब्दी के राजपूत शासकों में महाराणा प्रताप ऐसे शासक थे, जो अकबर को लगातार टक्कर देते रहे।

आइए जानते हैं उनसे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :

1) हल्दीघाटी का युद्ध मुग़ल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था। अकबर और राणा के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था।
2) ऎसा माना जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे। मुगलों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी।
3) महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था।
हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को विजेता घोषित करने की तैयारी
4) आपको बता दें हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20000 सैनिक थे और अकबर के पास 85000 सैनिक, इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे।


5) कहते हैं कि अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिए 6 शान्ति दूतों को भेजा था, जिससे युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म किया जा सके, लेकिन महाराणा प्रताप ने यह कहते हुए हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया कि राजपूत योद्धा यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता।
6) महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कुल 11 शादियां की थीं। कहा जाता है कि उन्होंने ये सभी शादियां राजनैतिक कारणों से की थीं।
7) महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था।
8) महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा चेतक था। महाराणा प्रताप की तरह ही उनका घोड़ा चेतक भी काफी बहादुर था।
9) बताया जाता है जब युद्ध के दौरान मुगल सेना उनके पीछे पड़ी थी तो चेतक ने महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को पार किया था। आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है।
10) हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लडने वाले सिर्फ एक मुस्लिम सरदार था जिसका नाम हकीम खां सूरी था।

                                                                 💗धन्यवाद💗

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