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क्या आप जानते हैं रतन टाटा के जीवन की ये बाते...?

नमस्कार दोस्तों

आज हम बात करेगे एक ऐसे शख़्स की जिसे चार बार प्यार हुआ लेकिन शादी नही हुई। एक ऐसे शख़्स की जिसका टाटा परिवार के साथ खून का रिश्ता नही है बल्कि ये तो गोद लिए हुए पुत्र है। एक ऐसे शख़्स की जिसने अपने राज़ में टाटा को शिखर पर पहुंचा दिया। जी हम बात कर रहे है रतन टाटा की। 

आइए डिटेल में जानते है इनकी जिंदगी को।

टाटा ग्रुप के अंडर 100 कंपनी आती है. टाटा की चाय से लेकर 5 स्टार होटल तक, सूई से लेकर स्टील तक, लखटकिया नैनों कार से लेकर हवाई जहाज तक सब कुछ मिलता हैं।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को भारत के सूरत शहर में पिता नवल (रतनजी टाटा द्वारा गोद लिया हुआ बेटा) और माता सोनू के घर हुआ था। रतन टाटा का धर्म पारसी हैं।
जब रतन टाटा 10 साल के थे तो इनके माता-पिता अलग हो गए थे। तब जमशेदजी के बेटे रतनजी टाटा की पत्नी नवाजबाई (रतन टाटा की दादी) ने इन्हें गोद ले लिया था और पालन-पोषण किया।
रतन टाटा ने अपनी शुरूआती पढ़ाई Cathedral and John Connon School (मुंबई) और बीशॉप कॉटन स्कूल (शिमला) से पूरी की। फिर वास्तुकला में B.S की पढ़ाई पूरी करने के लिए सन् 1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी चले गए। फिर 1975 में हावर्ड बिज़नस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम की पढ़ाई पूरी की।

रतन टाटा को एक तो पालतू जानवरों से प्यार है दूसरा उन्हें प्लेन उड़ाना पसंद है उनके पास लाइसेंस भी है।
रतन टाटा का कर्मचारियों से प्यार काब़िल-ए-तारीफ़ है। टाटा में नौकरी करना सरकारी नौकरी से कम नही है। रतन टाटा नए स्टार्टअप में भी इंवेस्ट करते है। जैसे: Ola, Paytm आदि।
रतन टाटा ने IBM की नौकरी ठुकराकर टाटा ग्रुप के साथ अपने कैरियर की शुरूआत 1961 में टाटा स्टील एंप्लॉयी कि पद पे की थी, लेकिन 1991 आते-आते वो टाटा ग्रुप के अध्यक्ष बन गए।2012 में जाकर रिटायर हुए।

रतन टाटा ने अपने 21 साल के राज़ में कंपनी को शिखर पर पहुंचा दिया। कंपनी की वैल्यू 50 गुना बढ़ा दी। वो फैसले लेते गए और उन्हें सही साबित करते गए।
रतन टाटा को 2000 में पद्म भूषण (भारत का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान) और 2008 में पद्म विभूषण (भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान) से नवाज़ा गया।
सन् 2008 में 26/11 के दिन आतंकवादियो ने मुंबई के ताज होटल पर हमला किया था। इस होटल में जितने भी लोग घायल हुए थे उन सबका इलाज टाटा ने ही कराया था। होटल के आस-पास ठेला लगाने वाले जिन लोगो का नुकसान हुआ था उन सबकी मदद टाटा ने की।

होटल जितने दिन तक बंद रहा, कर्मचारियों को उतने दिन की पूरी सैलरी दी गई थी। आपको बताते चलें, कि मुंबई के ताज होटल का निर्माण टाटा कंपनी बनाने वाले जमशेदजी टाटा ने करवाया था। यह होटल 1903 में 4 करोड़ 21 लाख रूपए में बनकर तैयार हुआ।

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बात सन् 1999 की है, जब इंडिका को लांच हुए एक साल ही हुआ था रतन टाटा फोर्ड के हेडक्वार्टर डेट्राॅयट गए थे, उनको कहने के लिए कि मेरी जो टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल है चल नही रही है मैं चाहता हूँ आप इसको खरीद लो, उस दिन बिल फोर्ड ने उनकी बड़ी बेइज्जती की थी उस दिन उन्होनें कहा था तुम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे है तेरा ये टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल खरीद कर। जब गाड़ी बनानी नही आती तो धंधे में आए क्यूँ थे। जैसे ही बिल फोर्ड ने ये बात कही रतन टाटा को ये बात चुभ गई। रातों रात पूरी टीम को लेकर डेट्राॅयट से मुंबई आ गए। 

मन में ठान ली और टाटा मोटर्स पर अलग से टाइम स्पेंड किया। कुछ ही दिन बाद टाटा मोट्रस तो अच्छे से grow करने लगा लेकिन बिल फोर्ड की कंपनी घाटे में आ गई। 2009 में फोर्ड दिवालिया होने की कगार पर आ पहुंची तो टाटा ग्रुप ने उनको प्रोपोजल भेजा कि हम तुम्हें खरीद लेते है। ठीक उसी तरह फोर्ड की पूरी टीम डेट्राॅयट से मुंबई आई और आकर बोले आप हमारी जैगुआर लैंडरोवर खरीदकर हम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं। रतन टाटा ने बड़े प्रेम से 9600 करोड़ रूपये में उनकी ये जैगुआर लैंडरोवर खरीद ली।
रतन टाटा को चार बार प्यार हुआ लेकिन शादी नही हुई। एक बार तो उनकी शादी बस होने ही वाली थी। दरअसल, रतन टाटा को अमेरिका में पढ़ाई के दौरान एक लड़की से प्यार हो गया दोनों शादी के लिए तैयार भी हो गए। रतन की दादी की तबीयत खराब होने की वजह से रतन तो भारत आ गए लेकिन भारत-चीन युद्ध से उनकी प्रेमिका बहुत डर गई और भारत नही आई, और कुछ दिनों बाद उनकी प्रेमिका ने अमेरिका में ही किसी और से शादी कर ली।

टाटा कंपनी के फाउंडर जमशेदजी टाटा को छोड़कर पहले 5 चेयरमैन में से किसी का कोई वारिस नही था, मतलब औलाद नही थी। 1887 में टाटा की स्थापना करने वाले जमशेदजी खुद चेयरमैन बने। 1904 में इनकी मौत हो गई, जमशेदजी के बेटे सर दोराबजी टाटा 1904 में चेयरमैन बने। 1932 में इनकी मौत हो गई. टाटा की कमान दी गई दोराबजी की बड़ी बहन के बेटे नौरोजी सकलतवाला को, 1938 में इनकी मौत हो गई। टाटा की कमान दी गई जमशेदजी के चचेरे भाई के बेटे जे.आर.डी. टाटा को। 1991 में ये रिटायर हो गए। कमान दी गई जमशेदजी के बेटे रतनजी टाटा द्वारा गोद लिए हुए नवल टाटा के पुत्र रतन टाटा को। 2012 में रतन टाटा रिटायर हुए। कमान दी गई रतन टाटा के सौतेले भाई के सगे साले साइरस मिस्त्री को। 2016 में मिस्त्री को कंपनी से निकाल दिया गया। अब कमान दी गई है नटराजन चंद्रशेखर को ये टाटा चेयरमैन फैमिली ट्री हो सकता है। 


रतन टाटा भारत या दुनिया के सबसे अमीर आदमी क्यों नही है ?
यही सवाल एक रिपोर्टर ने भी पूछा था। जवाब मिला कि वो व्यापारी है और मैं उद्योगपति। बात करते है अंबानी परिवार की, ये एक परिवार द्वारा चलाया गया बिज़नेस है बल्कि टाटा संस को टाटा ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है। सभी जानते है कि ट्रस्ट में किसी एक आदमी की हिस्सेदारी नही होती। टाटा की कमाई का 66% हिस्सा इसी ट्रस्ट में जाता है। रतन टाटा के रिटायरमेंट के बाद टाटा संस को तय करना पड़ा कि नया चेयरमैन कौन बनाया जाए जबकि अंबानी का तो अपने बिजनेस पर मालिकाना हक है उनका बिजनेस तो बेटे या बेटी के हाथ में ही जायेगा। आदमी की कंपनी न होने की वज़ह से रतन टाटा सबसे अमीर आदमी नही हैं।

                                                            💗धन्यवाद💗

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